सदानंद पॉल की 4 क्षणिकाएँ
1.
परजीवी
ऐसे लोग
जो प्राय: दूसरे का खाते हैं,
कहेंगे-
हम मंत्री परिवार से हैं,
एमपी एमएलए परिवार से हैं,
रईश हैं….
पर दूसरे का खाकर
मोटा गए हैं !
2.
चश्मे में आदमी
मेले में दादाजी से
चश्मे की ज़िद करता था,
तो कहते थे-
चश्मा ‘आवारा आदमी’
पहनते हैं !
दादाजी कभी चश्मा नहीं लगाए
और
अबतक मैं भी….
3.
ईश्वर की खोज
जब मैं 8 वर्ष का था,
तो किसी ने कहा-
ईश्वर हरिद्वार में रहते हैं
और उसी के साथ
वहाँ भाग गया,
पर नहीं मिले ?
अबतक खोज जारी है !
8.
गुलामगिरी
क्या जोरू
इतनी बवालियर होती हैं
कि आते ही
जोड़न (पति) को
कर देती हैं,
चारचित्त ?
गुलामगिरी !