कविता

गुरु सु जीवन का आधार

गुरु सु जीवन का आधार
गुरु का हो सदा ही सत्कार
हरि रूठे तो गुरु सहायक
गुरु रूठे तो कहां उद्धार

गुरु सत्संग की महिमा गाए
नाम सुमिरन की राह दिखाएं
खोल देता गुरु ज्ञान के द्वार
गुरु सु जीवन का आधार

प्रकाश स्तंभ गुरु जीवन में
स्व स्वरूप दिखाएं मन दर्पण में
हो उन प्रभु से साक्षात्कार
गुरु सु जीवन का आधार

गुरु चरणों में जिनकी श्रद्धा
पल में टलती उनकी विपदा
करता उनका जग सत्कार
गुरु सु जीवन का आधार

— सुनीता द्विवेदी 

सुनीता द्विवेदी

होम मेकर हूं हिन्दी व आंग्ल विषय में परास्नातक हूं बी.एड हूं कविताएं लिखने का शौक है रहस्यवादी काव्य में दिलचस्पी है मुझे किताबें पढ़ना और घूमने का शौक है पिता का नाम : सुरेश कुमार शुक्ला जिला : कानपुर प्रदेश : उत्तर प्रदेश