मां की भी क्या बात चलाई जीवन की है मात मिठाई फीके फीके मां बिन सुख हैं दुख की धूप में मात छांही बडे़ अभागे मां को त्यागें भाग्य, पुण्य पूंजी ,गंवाई मां के चरणों में जो बैठें जीत लेते सारी खुदाई छीने जो काल मां की देही बातों में वो रहे समाई इस दुनिया […]
Author: सुनीता द्विवेदी
कह रही लकडी़
अधजली चिता से ,चीख कर, कह रही लकडी़ जलती देह संग ,राख हो ,बह रही लकड़ी पानी भर अंजुल ,कभी ना , मुझे दिया तुमने फल और छांव ले ,परशु ही , मुझे दिया तुमने अब संग जलाते ,खीझ कर ,कह रही लकडी़… हमें न पनपातें ,काटते, ये बडे़ लोभी निज लाभ साधतें ,छांटते ,ये […]
राम खडा़ है
मुश्किलों ने कहा पाला पड़ा है हम डरें क्यों अपने पीछे राम जब खड़ा है कुंदन बनता सोना अग्नि में जब है तपता पहुंचे चोटी पर दे इम्तिहान सब कड़ा है मिलती मंजिल चल कर हर बूंद भरती गागर इक बीज नन्हा नित पा पानी वृक्ष अब बडा़ है हिम्मत ना हार आंधियों से तू […]
दोहे
१ बजी बहुत प्रेम बांसुरी ,अब लो शंख उठाय सुदर्शन बिन कलि काल में ,जनतंत्र बच न पाय २ बहु पाठी लोग कलि के, लिए निज ढपली राग कुमति अपनी लगाय के, अनुशासन दें त्याग ३ है लोकतंत्र वह भला ,जो थोड़ा ही होय अति लोकतंत्र पाय के, जनतंत्र भ्रमित होय ४ अधिकार मांगते हुए, […]
कौन आता है?
किसी को लोभ लाता है! किसी को लाभ लाता है! प्रभू प्रेमी विवश बना, विरला कभी आता है! पुण्य लाभ बुलाता है! पाप दण्ड डराता है! दान धरम या प्रेम में, कौन तीरथ आता है? किसी को यश लाता है! किसी को धन लाता है! प्रभू दीवाना होके, कौन शीश झुकाता है? तफ़रीह को जाता […]
तू सदा तुझ सा रहे
परिवर्तन होना तो तय है परावर्तन कैसे होगा तू सदा तुझ सा ही रहेगा भला और कैसे होगा आप अपना सर्वोत्तम होना सार्थक जीत बने तेरी छाप भी ना वो दोहराए तू दूजा कैसे होगा इसके जैसा उसके जैसा मानव तू कैसे होगा ठोस होना […]
गीत – मेरे मन
आशाओं के मंगल दीप ,जला मेरे मन… तिमिर निराशाओं के, अब ना ला मेरे मन.. हर रात की जब भोर हुई तो, तू क्यों रोता है बदल जाते हैं मौसम भी ,क्यों धीरज खोता है गहन अंधेरों में नव ,दीप जला मेरे मन… चलता चल तू अपनी ,राह बनाता जा सामने आए तो, बाधा विध्न […]
रक्त दान करें श्रीमान
जीवन बनके दौड़ौ हर जिंदगानी में रक्त से ही जिक्र शुरू है हर कहानी में मानवता और ,सह अस्तित्व को बढा़यें करें “रक्त दान”, दुनिया आनी जानी में रक्त दान महादान ,मान लें श्रीमान भर देता नई जान ,मशीन पुरानी में बना नहीं सकते रक्त, परंतु पाकर दान जुड़ते प्राण, टूटी सांस की कहानी में […]
व्यंग्यबाण
मुख पर सुरीले गीत ह्रिदय रसहीन वाणी झरे मेह मन करुणा विहीन सुहाता जिन्हें निज स्वार्थ ही केवल करें श्रृंगार किन्तु मुखड़ा श्री हीन आत्म मुग्ध ऐसे कोई भाता ना आप अपनी महिमा बताते प्रवीन दूजे को गिराते अपनी जमाते आत्म प्रशंसा नित ही गढ़ते नवीन मिले यदि स्वयं से बली चुप लगाते गाते प्रवंचक […]
प्रिय ‘हिन्दी’ को नमन
हिन्दी दिवस पर मेरी प्रिय भाषा तुम्हें नमन अतिशय प्रचुर तुम्हारा गरिमामय शब्द धन राष्ट्र भाषा , संपर्क भाषा ,जन भाषा तुम्ही निज सामर्थ्य से प्रेषित करो जग में कवि मन प्राकृत शौरसैनी संस्कृत की श्रेष्ठ सुता उन्नति मूल कहते भारतेन्दु की वंदिता वैज्ञानिकता हो चुकी प्रमाणित तुम्हारी निज डोर बांधी भारत की तुमने एकता […]