कविता

कौन आता है?

किसी को लोभ लाता है!
किसी को लाभ लाता है!
प्रभू प्रेमी विवश बना,
विरला कभी आता है!

पुण्य लाभ बुलाता है!
पाप दण्ड  डराता है!
दान धरम या प्रेम में,
कौन तीरथ आता है?

किसी को यश लाता है!
किसी को धन लाता है!
प्रभू दीवाना होके,
कौन शीश झुकाता है?

तफ़रीह को जाता है!
अनुरंजन लुभाता है!
दर्शन को तेरे भगवन्,
कौन तल्लीन आता है?

— सुनीता द्विवेदी

सुनीता द्विवेदी

होम मेकर हूं हिन्दी व आंग्ल विषय में परास्नातक हूं बी.एड हूं कविताएं लिखने का शौक है रहस्यवादी काव्य में दिलचस्पी है मुझे किताबें पढ़ना और घूमने का शौक है पिता का नाम : सुरेश कुमार शुक्ला जिला : कानपुर प्रदेश : उत्तर प्रदेश