बिजली ग्रिड की उपादेयता
6 जुलाई 2018 को कटिहार ज़िले के मनिहारी अंचलान्तर्गत बहुप्रतीक्षित नवाबगंज विद्युत सब-स्टेशन चालू हुई थी, जिनसे लो-वोल्टेज़ समस्या तो दूर हुई, किन्तु 1 मिनट में कभी-कभी 10-15 बार बिजली कट जाती है, जिससे बिजली बल्ब फ्यूज़ हो रहे हैं, तो अन्य यांत्रिक सामान खराब हो रहे हैं !
स्थाईवासी होने के नाते नवाबगंज विद्युत सब-स्टेशन की दशा और दिशा को होशकाल से ही जान रहा हूँ । यह क्षेत्र लहरु स्मारक उच्च विद्यालय का कैंपस है । ‘नवाबगंज संतमत सत्संग मंदिर का संक्षिप्त इतिहास’ नामक पुस्तिका में स्व. बाबूलाल सिंह ने लिखा है, इसी उच्च विद्यालय के परिसर में पुरैनियाँ (पूर्णिया) स्टेट के नवाब शौक़तजंग का निर्माणाधीन किला हुआ करता था, ध्वंसावशेष की स्थिति नित्य प्रति दयनीय होती जा रही थी, क्योंकि शौक़तजंग एक युद्ध में खेत रहे थे । ब्रिटिश काल में अपने-अपने वर्चस्व लिए ‘जमींदारी’ प्रथा प्रबलतम स्थिति में थी, तब ‘ग्रिड’ वाली परती भूमि बाघमारा के प्रतिष्ठित व्यक्ति स्व. बाबू ब्रह्म नारायण सिंह के सौजन्यत: एतदर्थ प्राप्त हुई थी । संभवतः, ग्रिड का दक्षिणी हिस्सा ‘सीज़’ हो चला था, चूँकि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात लैंडलॉर्ड को जमीन बचाने की जुगत बिठानी पड़ रही थी ।
मेरे पितामहानुज स्व. गोपीनाथ पॉल का स्व. ब्रह्मा बाबू से भ्रातृवत सम्बंध था, उन्हीं के प्रसंगश: इसे जाना था । हाँ, उच्च विद्यालय को दिए गए बग़ीचावाला और इतर हिस्सा बाघमारा निवासी स्व. बाबू धनपत सिंह बर्म्मन के सौजन्यत: रही । किन्तु, अद्यतन यह लहरु स्मारक उच्च विद्यालय की है ।
नवाबगंजवासियों ने भग्नावशेष किला के यत्र-तत्र बिखरे पड़े ईंटों से उच्च विद्यालय और ग्रिड के भवनों के नींव रखे थे और यह कालांतर में नीड़-निर्माण में सहायक सिद्ध हुआ ।
मेरी जानकारी अंतिम नहीं है । इस संबंध कइयों के पास अंतरतम जानकारियाँ हो सकती हैं, यहाँ नए ज्ञान से अवगत करा सकते हैं ! दिनांक 6 जुलाई 2018 की शाम से बिजली के दुःखी पंखों ने गति पकड़ा है, नैनों को तीलियाँ नहीं दिखाई दे रही है। अपेक्षा है, यह ‘अमरीश पुरी’ वाला चुनावी स्टंट साबित ना ही हो!