इतिहासलेख

भारतीय राजनीति के ‘बाबूजी’

‘बाबूजी’ के उपनाम से ख्यात स्व. जगजीवन राम भारतीय राजनीति के वैसे चट्टान थे, जो 1937 से 1986 (मृत्युपर्यंत) तक लगातार विधायक व सांसद जरूर रहे और देश के प्रथम श्रम मंत्री से लेकर 40 साल तक हर प्रधानमंत्री के अधीन केंद्रीय मंत्री पद को सुशोभित किया।

कांग्रेस -जनता पार्टी- कांग्रेस समीकरण में रहे, रेल मंत्री रहे, रक्षा भी और अंततः उप प्रधानमंत्री भी बने । देश में ‘सरकारी जन वितरण प्रणाली’ की जो दूकान है, उन्हीं की देन है । प्रथम महिला लोकसभाध्यक्षा और बीते राष्ट्रपति पद के ‘रनर’ उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार उन्हीं की संतान है।

8 जून 1986 को महर्षि मेंहीं ब्रह्मलीन हुए थे, तो एक माह बाद 6 जुलाई को ‘बाबूजी’ जगजीवन राम इस रूहानी दुनिया को कूच कर गए । उनकी पावन पुण्यतिथि पर इस ‘जग के जीवन’ को सादर नमन और श्रद्धांजलि!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.