कविता

किसी के लिए खास!

काश!
हम भी होते,
किसी के लिए खास!
कोई,
हमारे लिए भी,
करती अरदास।

कोई,
हमें भी,
करती पसंद,
डालती हमें भी,
प्रेम की गुलाबी घास।
मिलाती,
हमारे साथ छन्द,
नहीं रहने देती,
हमें स्वच्छन्द।

काश!
हमारा भी
करती कोई इंतजार
उमड़ता हमारे लिए भी,
थोड़ा सा प्यार,
बनती,
जीवन का आधार।

काश!
कोई,
हमें भी,
देर हो जाने पर,
करती बार-बार फोन।
और हम,
उसकी डाँट खाकर,
हो जाते मौन।
हमारे कार्य में,
व्यस्त होने के कारण,
फोन न उठा सकने पर
हो जाती नाराज।
और हमें,
उसे मनाने के लिए,
उठाने पड़ते,
उसके नाज।

काश!
हमारे भी,
ऐसा होता,
एक घर,
और एक घरवाली,
हमारा साथ पाने को,
वह रहती मतवाली
और हमें पिलाती,
प्रेम-सुधा की प्याली।
काश!

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)