राष्ट्रपिता कौन ?
समाजसुधारक फुले जी का एतदर्थ फलक विस्तृत नहीं था, वे महाराष्ट्र और पिछड़ा वर्ग से आगे नहीं बढ़े, जबकि महात्मा गाँधी ने समेकित रूप से 1917-1947 तक देश को बाँधे रखा और हर कूटनीति इस्तेमाल कर देश को आज़ादी दिलाई।
अंग्रेज भी ‘गाँधीजी’ की कूटनीति और कौशल का लोहा मानते थे । इतना ही नहीं, हर देश में जो शख़्स देश को राजतंत्रीय यथा इतर तंत्रीय गुलामी से मुक्ति दिलाने में अग्रगण्य भूमिका निभाई हो, उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ का दर्जा दिया जाता है ।
महात्मा गाँधी को आजादी से पहले ही बापू और राष्ट्रपिता कहा जाता रहा है । उनके धुर विरोधी नेताजी सुभाषचंद्र बसु भी उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा करते थे । पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मु. जिन्ना और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शे. मुजीबुर्रहमान इन्हीं कारणश: संबोधित हैं।
हाँ, यह तयशुदा सच है, महात्मा ज्योतिराव फुले ने समाज में शिक्षा की अलख जगाते हुए देश के प्रथम आधुनिक शिक्षक के विन्यस्तत: शुमार हुए, बावजूद दो कालों और कार्यों के बीच तुलना नहीं ही होनी चाहिए । अद्यतन, गाँधीजी सम्पूर्ण विश्व के लिए विश्ववंद्य हो चुके हैं तथा महात्मा गाँधी की ‘शहीदता’ उन्हें और भी महान बनाता है ।