मिलते हैं नसीब में सब को,मस्त भरे खुशीयों के रंग।
होठों पर मुस्कान बिखेरे,होते पुलकित भीतर अंग।
तज कर बैर विरोध सारे,आओ बन के सब मीत रहें।
प्रेम सुधा हृदय की ताल से,गाते मधुर हम गीत रहें।
बाँट लें दर्द आपस में सब,नयनों से सभी दुलार कर।
हाथ में हाथ हो अपनों का,बाहों में भर के प्यार कर।
बन जाए परिवार खुशी का,छोड़ न पाएं सबका संग।
मिलते हैं नसीब में सब को,मस्त भरे खुशीयों के रंग।
हंसना खेलना जिंदगी में, जीनें के दिन चार बढ़ाता है।
खुशीयाँ मिलती है जी भर,जो प्रेम में ही घुल जाता है।
मिट्टी की सौंधी खुश्बू में,फूल खिल कर के मुस्काते हैं।
दिल के पावन रिश्ते पनपते,खुश चेहरे खिल जाते हैं।
खुशीयों से घर महक उठे, मन में बहती है प्रेम तरंग।
मिलते हैं नसीब में सब को,मस्त भरे खुशीयों के रंग।
हमारे त्यौहार, संस्कार, खुशीयों के मेले लगते हैं।
मिलजुल के खुशीयाँ मनाते अपनें ही रंग में रंगते हैं।
घरमें हो खुशीयों का डेरा वहाँ सुख समृद्धि आती है।
मेलजोल भाईचारा बढ़े,नित प्रेम सुधा बह जाती है।
खुशीयों के सागर उमड़े, मन में ले कर नई उमंग।
मिलते हैं नसीब से सब को मस्त भरे खुशीयों के रंग।
— शिव सन्याल