गीत/नवगीत

मन में बहती प्रेम तरंग

मिलते हैं नसीब में सब को,मस्त भरे खुशीयों के रंग।
होठों पर मुस्कान बिखेरे,होते पुलकित भीतर अंग।
तज कर बैर विरोध सारे,आओ बन के सब मीत रहें।
प्रेम सुधा हृदय की ताल से,गाते मधुर  हम गीत रहें।
बाँट लें दर्द आपस में सब,नयनों से सभी दुलार कर।
हाथ में हाथ हो अपनों का,बाहों में भर के प्यार कर।
बन जाए परिवार खुशी का,छोड़ न पाएं सबका संग।
मिलते हैं नसीब में सब को,मस्त भरे खुशीयों के रंग।
हंसना खेलना जिंदगी में, जीनें के दिन चार बढ़ाता है।
खुशीयाँ मिलती है जी भर,जो प्रेम में ही घुल जाता है।
मिट्टी की सौंधी खुश्बू में,फूल खिल कर के मुस्काते हैं।
दिल के  पावन रिश्ते पनपते,खुश चेहरे खिल जाते हैं।
खुशीयों से घर  महक  उठे, मन में बहती है प्रेम तरंग।
मिलते हैं  नसीब में सब  को,मस्त भरे खुशीयों के रंग।
हमारे   त्यौहार,  संस्कार, खुशीयों  के मेले  लगते हैं।
मिलजुल के खुशीयाँ मनाते अपनें ही रंग में रंगते हैं।
घरमें हो खुशीयों का डेरा वहाँ सुख समृद्धि आती है।
मेलजोल  भाईचारा बढ़े,नित प्रेम  सुधा बह जाती है।
खुशीयों  के  सागर उमड़े, मन  में ले  कर नई  उमंग।
मिलते हैं नसीब से सब को मस्त भरे खुशीयों के रंग।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995