आदर्श विद्यालयों में इनकी भी सुव्यवस्था हो !
जिस क्षेत्र में हूँ, वहाँ प्रति वर्ष फरवरी से पेयजलापूर्ति की समस्या उभर आती है तथा छात्र-छात्रा, शिक्षक-शिक्षिका आदि के लिए अलग-अलग शौचालय व मूत्रालय की व्यवस्था नहीं होने से समस्या और भी विकट हो जाती है।
हालाँकि मैं बालिका उच्च विद्यालय में हूँ, फिर भी यहाँ छात्राओं के लिए कम से कम 4 शौचालय और अलग से 4 मूत्रालय होने हैं, क्योंकि महिलाजन्य मूत्रांग के कारणश: शौचालय में मूत्र-विसर्जन से उनके जननांग संक्रमित हो सकते हैं । उसी तरह शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए भी ये दोनों की अलग-अलग व्यवस्था हो । जहाँ सह-शिक्षा है, वहाँ छात्र के लिए भी अलग-अलग ।
हमारे विद्यालय में दोनों प्रकार के प्रसाधन कक्ष को सरकारी योजना-मद प्रतिपूरित किया गया, किंतु सरकारी स्तर से पेयजलापूर्ति की समस्या दूर नहीं हो पाई है, जिससे पेयजल सहित शौच व मूत्रनिवृत्ति के लिए समस्याजनित हो ही जाती है आखिर, बावजूद हम शिक्षकबंधु आपस में चंदा ले-देकर ‘गैलन’ वाले पेयजलापूर्त्ति की व्यवस्था कर इससे निजात पाने का प्रयास की जा रही है।