टूट गई तंद्रा
टूट गई तंद्रा जो पग थाप से ,
सिद्ध होता है नाता मेरा आपसे
धड़कने बन्द होकर धड़कने लगीं,
साजना आपके नाम के जाप से
बर्फ सा था जमा दिल पिघलने लगा,
आपके प्यार के गीतों के ताप से
डर रही हूँ किसी को भनक न लगे,
इस गज़ल की मेरी यूँ प्रेमालाप से
मैं किरण हूँ तो सूरज हुए आप ही,
तभी तो मैं खिली आपके धाप से