विदेश में रह रहे मित्र के नाम एक पत्र
प्रिय मित्र,
नमस्कार !
इधर मैंने USA और UK में रह रहे मित्रों को भी अपनी पुस्तक भेजा है, Rs 200 से भी कम पड़ा है । खर्च की चिंता मत कीजिये, मित्र !
मेरा नाम ‘गिनीज़ बुक’ में भी है तथा वैसे भी लंदन भी पत्राचार करता हूँ ।
Email, SMS, FB इत्यादि माध्यमों का उपयोग तो अब कर रहा हूँ, जबकि postal माध्यम का अब भी मैं उपयोग करता हूँ !
इसलिए postal address भेजने में हिचकिचाइये नहीं ! खर्च भी मैं वहन करूँगा ! दअरसल, मुझे आपसे अन्तस् स्नेह हो गया है !
ऐसा कम ही लेखक होंगे, जो पुस्तक भी मुफ़्त देते हैं और पाठकों तक पहुंचाते भी मुफ़्त ! मैं व्यवसाय नहीं करता हूँ, मित्र ! मैं तो सिर्फ़ व सिर्फ़ लेखन करता हूँ । मुझे तो यह प्रसन्नता की बात है कि विदेश में मेरे मित्र रहते हैं !
आशा है, आप सपरिवार स्वस्थ व सानंद होंगे ! पता भेजिए, कृपया !
सादर भवदीय——।