6 अद्भुत क्षणिकाएँ
डॉ. सदानंद पॉल अद्भुत क्षणिकाएँ
1.
चक्कूवाले मित्र
उन मित्रो की
समय रहते
पहचान अवश्य कर लीजिए,
जो अवसर मिलते ही
आपकी पीठ पर
चाकू
घोपेंगे ही घोपेंगे !
2.
क्रिकेट में स्वांत: सुखाय
वर्ल्डकप क्रिकेट से
समय और धन
दोनों की बर्बादी हुई,
2019 सेमीफाइनल में
‘टीम इंडिया’ की हार से
‘स्वान्त: सुखाय’ भी गई !
3.
मृदुल कंठ
सब कुछ खत्म हो गया !
चार साल की मेहनत
और डेढ़ माह का इसतरह से अंत !
क्या वीरों के ऐसे ही होंगे, वसंत !
बोलो, मेरे मृदुल कंठ !
4.
न स्प्राइट, न मिठाई
उनकी वो मिठाई नहीं खाई !
उनकीवाली ने वो की
यानी ‘स्प्राइट’ नहीं पी !
पर जाएंगे,
एक ही गाड़ी में दोनों…
कि न टा-टा,
न बाय-बाय !
5.
एक्सीलरेटर क्यों जरूरी ?
सिरमौर धौनी और सर जडेजा
के पैरों और बल्ले में
‘एक्सीलरेटर’
होने जरूरी !
क्यों अन्य रहेंगे दूरी ?
सिर्फ इन दोनों की
क्यों मजबूरी ?
6.
हम दो, हमारे एक
विश्व जनसंख्या दिवस
11 जुलाई पर
यही संदेश-
हम 2, हमारे 1
अन्यथा, अच्छा है सिफर,
मजे में कटेगी सफर !
वाकई में
यह सच्ची बात !