ऑनलाइन….
आज की इस दुनियाँ में
हो रहा सब ऑनलाइन
इसको देखो,उसको देखो
मिलते हैं सब ऑनलाइन
नहीं किसी से मतलब इनको
खाना-पीना सब ऑनलाइन
पढ़ना-लिखना, हँसना-खेलना
रोना भी है अब ऑनलाइन
बिन मुँह खोले बात हो जाती
होते किस्से सब ऑनलाइन
कहाँ गए वो गुड्डे-गुड़ियाँ
बच्चे हैं सब ऑनलाइन
किताबों की तो बात छोड़ो
ज्ञान मिलता अब ऑनलाइन
गुरु-शिष्य का नाता कैसा
शिक्षा मिलती जब ऑनलाइन
नाम का ही रह गया है सब
काम मिलता अब ऑनलाइन
साथ नही है कोई किसी के
प्यार हो रहा अब ऑनलाइन
रिश्ते-नाते , रस्म सगाई
शादी भी अब ऑनलाइन
मेरे लिए न बाकी कुछ
भेज रहा हूँ ऑनलाइन
-रमाकान्त पटेल