शब्द
शब्द भर पूर पीर देते हैं।
शब्द सीने को चीर देते हैं।
शब्द को जोड़कर ग़ज़ल बनती,
शब्द इक़बाल मीर देते हैं।
शब्द करते हैं मार अन्दर तक,
शब्द तीखे भी तीर देते हैं।
शब्द रखते अजब गजब जादू,
शब्द आँखों में नीर देते हैं।
शब्द ही हैं ग़रीब के साथी,
शब्द ही बस अमीर देते हैं।
— हमीद कानपुरी