नारी
नारी हूं मैं शक्ति हूं
मैं ईश्वर की अभिव्यक्ति हूं
कभी निर्मल, तो कभी ज्वाला हूं
मैं संस्कारों की शाला हूं।
बहुभुजा धारिणी बन के
बहुमुखी प्रतिभा दिखलाती हूं
बन दुर्गा – लक्ष्मी और सरस्वती
अनंत किरदार निभाती हूं।
सह कर असाध्य प्रसव वेदना
सृष्टि सृजन बढ़ाती हूं
बन मां, बहन, बहू और बेटी
घर के कर्तव्य निभाती हूं
घर – बाहर के कामों को
हस के मैं कर जाती हूं
कहते हैं सभी मुझे प्यार की मूरत
इसलिए “न अरि” कहलाती हूं।
पढ़ी लिखी मैं
स्व – तकदीर को लिखती,
स्वर्णिम युग की चिंगारी हूं
हां! मैं आधुनिक नारी हूं
अंजु गुप्ता