पुलिस एनकाउंटर गैर-कानूनी विकल्प है !
पुलिस एनकाउंटर से सभी राज दफन हो जाते हैं । यह सच है, सिर्फ जुलाई माह में एक सीओ सहित 8 पुलिसकर्मियों की मुठभेड़ में हत्या करने के दुर्दांत दोषी विकास दुबे मतलब विनाश दुबे था । अन्य वर्षों में कितनी हत्याएँ उनके मत्थे रहे होंगे, एनकाउंटर से उनकी मौत के राज दफ़न हो गए । विकास दुबे को बनाने में परिवार का हाथ था, समाज के हाथ थे या सफेदपोश नेताओं के, यह जानना जरूरी था।
हमारा कानून और हमारी अदालत भी तह तक जाना चाहते हैं, यह कानून के तहत ही दोषियों को सजा देते हैं । यह दुर्दांत से दुर्दांत अपराधी को भी पुलिसिया एनकाउंटर के पक्ष में नहीं है । ऐसे में एनकाउंटर को लेकर शुरू से ही यह मानवाधिकार का उल्लंघन साबित होते रहा है, क्योंकि यह कृत्य हत्यारे को सजा देने का विकल्प नहीं है।
दण्ड देने का अधिकार कानून को है, पुलिस को नहीं । अभिनेता नाना पाटेकर अभिनीत हिंदी फिल्म ‘अबतक 56’ एनकाउंटर के पृष्ठभूमि पर ही बनी है, जिनमें एक पुलिस अधिकारी द्वारा 56 एनकाउंटर किये जाते हैं।