भारत में जनसंख्या विस्फोट
”भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है,
हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं
जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है
समस्याएं जनसंख्या विस्फोट से उबलने लगी हैं
आये दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम ने जीना हराम कर दिया है
वाहन रेंगने की स्थिति में पहुँच गए हैं
लोगों को पैदल चलना अधिक मुनासिब लग रहा है
यह हाल रहा तो हम आत्मनिर्भरता का सपना ही देखते रह जाएंगे
चारों तरफ मुंडियां-मुंडियां दिखाई पड़ेंगी
बताओ तो सही हम कहां और कैसे रह पाएंगे?”
आदरणीया लीला मैडम,
सादर प्रणाम🙏
जनसंख्या नियंत्रण पर मेरी 5 क्षणिकाएँ तो देखिए—
1.
जनसंख्या नियंत्रण
काहे को भारत में
‘जनसंख्या दिवस’,
यहाँ शादी करने की
फनफनी रहती है
और
बच्चे पैदा करने की हनहनी !
2.
विश्व जनसंख्या दिवस
जिनके एक से अधिक बच्चे हैं,
उन्हें ‘विश्व जनसंख्या दिवस’
यानी 11 जुलाई दिवस
पर रत्ती भर भी
बोलने का
अधिकार नहीं है !
यह कहना सही है ।
3.
सबसे बड़ी संख्या
भारत सहित 6 देशों में
संसार की
आधी आबादी रहती है,
फिर काहे को भारत में
‘जनसंख्या दिवस’ !
4.
शादी से बढ़ी आबादी
शादी से बढ़ती जाती आबादी,
बढ़ती आबादी से होती बर्बादी !
शादी है अपशकुन,
यह नहीं है शुभलगुन !
गुण-अवगुण से परे,
सोचें हम
कि जनसंख्या दूर कैसे करें ?
5.
एक परिवार एक संतान
हिन्दू हो या मुसलमान,
एक परिवार, एक संतान !
सिख हो या क्रिस्तान,
एक परिवार, एक संतान !
अगर हैं आप इंसान,
तो एक परिवार, एक संतान !
बची है आपमें ईमान,
तो एक परिवार, संतान !
प्रिय सदानंद भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. जनसंख्या नियंत्रण पर आपकी 5 क्षणिकाएँ बहुत अच्छी लगीं. बहुत सुंदर पंक्तियां-
”यहाँ शादी करने की
फनफनी रहती है
और
बच्चे पैदा करने की हनहनी !”
ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
प्रिय सदानंद भाई जी, हमारा आज का ब्लॉग ”यादों के झरोखे से- 23” भी देखिए, शायद आपके काम भी आ जाए! इसी ब्लॉग पर आप अपना ब्लॉग में भी कामेंट कर सकते हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/yaadon-ke-jharokhe-se-23/
भारत में जनसंख्या विस्फोट का असर अब दिखाई देने लगा है. हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं और दैनंदिन जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है। भारत की राजधानी जनसंख्या विस्फोट से उबलने लगी है। देश के मेट्रो शहरों का हाल भी बहुत खराब है। दिल्ली में आये दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम ने जीना हराम कर दिया है। वाहन रेंगने की स्थिति में पहुँच गए हैं। लोगों को पैदल चलना अधिक मुनासिब लग रहा है।