रूहानी प्रेम
कौन कहता है
कि किस्से,,,
चाहत
मुहब्बत
और
तेरे-मेरे प्यार के
हैं अब
बस कुछ पन्नों में सिमट गए
सच तो यह है कि
राधा कृष्ण से
हम और तुम,,,
प्रेम में खोकर
प्रेम के होकर
हैं इक दूजे को
समर्पित हुए।
हां !
तुझमें मेरा
और मुझसे तेरा
दिखता है
इक दूजे का अक्स ।
एहसास प्यार का
निर्विकार है
सृष्टि का आधार है
… रूहानी प्रेम ।
अंजु गुप्ता