लघुकथा — प्रकृति का नियम
सदाशिव जी कह रहे थे कि जितनी भी शारीरिक व्याधियां और बीमारियों होती है, उनके लिए कोई और नही, स्वयं इन्सान ही जिम्मेदार है ।
रामकेश ने पूछा – “सदाशिव जी, कोरोना जैसी महामारी या सूखा और बाढ़ जैसी प्राक्रतिक आपदाओं से लाखों लोग मर रहें हैं, इसमें इंसान का क्या दोष है ?”
सदाशिव – “हवा पानी को प्रदूषित कर वातवरण को विषैला करना और जीवन दायिनी वृक्षों का विनाश कर पत्थर के डूंगर खड़े करना, इंसानों का प्रकृति के साथ अक्षम खिलवाड़ है ।”
“कोरोना महामारी के दौरान नदियों का पानी व वायु मण्डल के स्वच्छ होने से पशु-पक्षियों और जलचर जीवों को देखो कितनी राहत मिली है । हवा, पानी और पृथ्वी को स्वच्छ रखकर प्रकृति में संतुलन बनाये रखने की जिम्मेदारी तो इन्सानों की ही हैं, वरना प्रकृति अपना काम करती है, यही प्रकृति का नियम है ।”
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला