सावन के इंतज़ार में
सावन के इंतज़ार में
वो अब खामोश होकर
देख रही है गगन को
जैसे अपना सब कुछ
खो चुकी हो प्यार में।
आंखों में उसकी अभी
इक आस दिखती है
जो ले आती है वहीं
यहां छोड़ा था उसके
बेबफा दिलदार ने।
अब के सावन ने भी
बहुत देर कर दी है
पिछले साल की तरह
नहीं बरसी बूंदे अब वो
सूखा है उसके संसार में।
फिर भी रोज़ आती है
वादा निभाती है वो
न तुम आए न सावन
और ये सूनी अखियां
तरस रही इंतज़ार में।
कामनी गुप्ता