मुक्तक/दोहा

श्रृंगार परक दोहे

सौंदर्य परक दोहे
नील कमल से नैन हैं, पलकें पात समान।
मधुर अधर मकरन्द हैं, रम्भा रूप समान।1
चन्द्रानन  सा  गोल है,  पूनम  सी है देह।
मंगल सी बिंदिया लसे, केतू हुआ विदेह।2
स्वर्णलता सी देह पर, मधुर अधर से फूल।
दिव्य फलों से दिख रहे, कर्ण रहे जो झूल।3
रजताभा से माथ पर, अलक गयी है छूट।
बंक भृकुटि से लग रही, गयी पिया से रूठ।4
अक्ष  नुकीले  तीर  से,  मारन  में  है  दक्ष।
बिन घालन घायल भये, जाके गए समक्ष।5
                 डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

डॉ. शशिवल्लभ शर्मा

विभागाध्यक्ष, हिंदी अम्बाह स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, अम्बाह जिला मुरैना (मध्यप्रदेश) 476111 मोबाइल- 9826335430 ईमेल[email protected]