कविता

दुभाषिए

न जातपात
न सरहदें
अंजान है वो…
अजानों और
घंटियों की आवाज़ों से
मजहबी
नफ़रत के दरवाजों से

हां!
तन – मन के उजले
“शान्तिदूत” कपोत
लिए स्वतंत्रता और
भाईचारे का सन्देश
विचरें,,,
नील गगन में
… बन दुभाषिए ।

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed