ब्लॉग/परिचर्चा

सदाबहार काव्यालय- 3: एक परिप्रेक्ष्य

लीजिए, सदाबहार काव्यालय- 3 का सुखद समारोह शुरु होने जा रहा है. सदाबहार काव्यालय- 1 शुरु करने से पहले हमने आपको ”काव्यालय की अविस्मरणीय सैर” करवाई थी. उससे सदाबहार काव्यालय- 1 का सुखद समारोह शुरु हो गया था. फिर आया ”सदाबहार काव्यालय: एक पुनरावृत्ति” और प्रारंभ हो गया सदाबहार काव्यालय- 2 का सुहाना सफर. यह सफर सदाबहार काव्यालय: 2 की ई.बुक बनने के साथ ही समाप्त हो गया. ठहरिए, ये सफर अभी समाप्त नहीं हुआ है. अभी तो ई.बुक सदाबहार काव्यालय: 2 की प्रतिक्रियाएं आई हैं. चलिए, पहले इन्हीं प्रतिक्रियाओं का जायजा लेते हैं.

गुरमैल भाई ने लिखा-
लीला बहन, सदाबहार काव्यालय- 2 में छपी सभी रचनाएं खरा सोना हैं। सुदर्शन भाई से शुरू हुईं रचनाओं में आप, रविंदर भाई और अन्य साहित्यकारों ने इस ई.बुक को चार चाँद लगा दिए हैं। सुदर्शन भाई के वृक्षों के प्रति दर्द ने मुझे बचपन में पहुंचा दिया. जब वृक्षों के जंगल हुआ करते थे। सभी रचनाकार प्रसिद्ध साहित्यकार हैं, उनकी सभी काव्य-रचनाएं सदाबहार हैं। बेटे राजेंद्र तिवानी को भी मेरा शुभ आशीर्वाद, जिन्हंने इस ई.पुस्तक को सदाबहार चित्र से सजाकर इसकी शान बढ़ा दी है. ई.बुक बनाने के तो वह उस्ताद हैं ही! मेरी कितनी ई.बुक्स बना दी हैं! कभी सपने में भी मैंने ऐसा सोचा न था! उम्मीद है यह ई. पुस्तक हर पाठक को पसंद आएगी।
-गुरमेल भमरा

सुदर्शन भाई ने लिखा-
सदाबहार काव्यालय-2 अपने आप में कवित्त अभिव्यक्तियों से अभिभूत है। पाठकों के लिए यह एक अविस्मरणीय भेंट है। कवियों की कल्पना शक्ति व सृजनशीलता उनके जीवन के दर्शन को दिखाती है। आदरणीय दीदी श्रीमती लीला तिवानी का यह अभूतपूर्व प्रयास संग्रहणीय और सराहनीय है। यह एक प्रयास है विभिन्न कवियों के जीवन दर्शन को पाठकों, चिंतकों और विचारकों तक पहुंचाने का। कवियों की संवेदनशीलता सराहनीय है। इस संकलन की सभी कविताएं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। प्राकृतिक व सामाजिक परिवेश इन कविताओं के मूल प्रेरणा स्रोत हैं। कहीं कवियों की पीड़ा मुखर होती है तो कहीं सामाजिक संदेश देती है। कवि समाज के विभिन्न वर्गों की मानवीय संवेदना को बारीकी से दर्शाते हैं जो दिखने में बहुत सरल व सहज लगते हों, परन्तु उन संवदेनाओं का प्रहार बहुत सटीक व गहरा होता प्रतीत होता है। कई कविताएं प्रकृति के प्रतीकों के माध्यम से समाज व राजनैतिक व्यवस्था पर ठोस प्रहार करती सी भी लगती हैं। इस संकलन की कविताएं बहुत ही सारगर्भित हैं और कुछ महत्वपूर्ण सम-सामयिक मुद्दों पर एक सशक्त टिप्पणी भी। सभी काव्य प्रेमियों के लिए यह एक विशेष भेंट है। अन्त में सबसे महत्वपूर्ण बात जो मुझे कहनी है उसका संदर्भ आदरणीय दीदी लीला जी से है। उनके अथक प्रयासों और उत्साहवर्द्धन से अनेक नवोदित कवियों ने भी कविताओं के इस रंग-बिरंगे मेले में शिरकत की है। इस संकलन में हमारे सबसे वयोवृद्ध कवि श्री नरिन्दर वाही जी अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी क्षति अपूरणीय है। मैं आप सभी के संग ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। आदरणीय लीला जी के सुपुत्र श्री राजेन्द्र तिवानी जी धन्यवाद के पात्र हैं जिनके कौशल से इन कविताओं को ई-बुक का पठनीय, संग्रहणीय व खूबसूरत रूप मिला। मैं इस संकलन के लिए सभी प्रबुद्ध कवियों का आभार व्यक्त करता हूं जिनके सौजन्य से यह अद्भुत प्रयास प्रस्फुटित हुआ। भविष्य में ऐसे प्रयास देखने को मिलेंगे, ऐसी कामना करता हूं।
-सुदर्शन खन्ना

कुसुम सखी ने लिखा-
प्रिय सखी! आपके सकारात्मक दृष्टिकोण ने कई नवोदितों को आत्मविश्वास से आगे बढ़ने का हौसला दिया है! सदाबहार काव्यलय 2 उसका प्रमाण है! आपके परिवार की मेहनत का ही नतीजा है कि हम अपनी, अपने साथियों की पुरानी श्रेष्ठ प्रस्तुतियों को एक जगह पढ़ पा रहे है, साहित्यिक विकास और सुधार के ग्राफ को महसूस कर पा रहे है! आपने एक मंच पर सबको ला कर सबसे एक दूसरे का परिचय करवाया है तथा भारत के अलग-अलग जगह की मिट्टी में खिले पुष्पों को एकत्रित कर एक गुलदस्ते में सजा लिया है! आपके प्रयासों को नमन! धन्यवाद सभी सहभागियों का, साहित्यिक ऊर्जापुंजों का, ज्ञानीजनों का, भगीरथ प्रयासों का!
-कुसुम सुराणा

चंचल सखी ने लिखा-
सदाबहार काव्यालय – २ बहुत ही सुन्दर, विविध रंगी, विविध रूपी फूलों से सजा गुलदस्ता है। अपनी खुशबू से हरदिल को महकाता है। चलते-चलते सहज ही बहुत बड़ी बात कह जाता है। जनचेतना का प्रयास करता,सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करता है। मधुरिम रिश्तों को सहेजता, आत्मीयता से एकता की भावना को संबल देता है।धूमधाम से त्यौहार का आनंद लेता, मानव मन के अंतर्मन को आनंद लहरियों से ताजातरीन करता सदाबहार काव्यालय। बेहतरीन संकलन। सुंदर प्रस्तुति। प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित मुखपृष्ठ का चित्र भी बेमिसाल! धन्यवाद लीला दीदी।
-चंचल जैन

गौरव भाई ने लिखा-
आदरणीय दीदी सादर प्रणाम, सर्वप्रथम तो यादों के झरोखे से-23 के माध्यम से काव्यालय की शानदार और मनभावन सैर कराने के लिए अनेकानेक धन्यवाद और आपके इस अद्भुत शुभकामना गीत के लिए आपको अनेकानेक शुभकामनाएं। अब बात करते हैं सदाबहार काव्यालय- 2 की. यह सदाबहार काव्यालय ही है जिसने आपके सानिध्य और मार्गदर्शन से मुझे थोड़ा बहुत लिखना सिखाया, साथ ही अपने इस परिवार के सभी बड़े और आदरणीय लेखकों का स्नेह और आशीर्वाद दिलाया| आज आप सभी की आशीर्वाद देती स्नेहिल प्रतिक्रियाएं जब मेरे हर ब्लॉग पर आती हैं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मुझे ढेर सारे उपहार दिए गए हों। इसी स्नेह और कुछ नया सीखने की चाह में मैंने आपसे सदाबहार काव्यालय की अगली श्रृंखला के लिए अनुरोध किया था और आपने मेरे उस अनुरोध को स्वीकार कर मुझे अपार स्नेह की अनुपम भेंट दी है। मुझे विश्वास है कि सदाबहार काव्यालय की अगली श्रृंखला में भी मैं आप सभी के मार्गदर्शन में कुछ ऐसा लिख पाने में सफल हो पाऊँगा जिससे मुझे अगाध प्रेम और आशीर्वाद मिलेगा। आपके इस अद्भुत ब्लॉग के लिए आपको अनेक शुभकामनाओं सहित नमन। सादर। जय श्री राधे-कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏
-गौरव द्विवेदी

हम तो बस आप सबके सहयोग और प्रतिक्रियाओं के आभारी हैं. सदाबहार काव्यालय की 51 कड़ियां बहुत मायने रखती हैं. ये 51 कड़ियां एक बार नहीं, दो-दो बार अपना जलवा दिखा चुकी हैं, वो भी सदाबहार-कालजयी काव्य-रचनाओं के साथ. इस बार भी आप सबने अपना उत्साह व्यक्त किया है. आशा है इसी उत्साह के चलते यह समारोह भी सहज और सुखद ही रहेगा. इसी आशा के साथ आग़ाज़ होता है सदाबहार काव्यालय- 3 का, जिसका परिप्रेक्ष्य या कि कहिए भूमिका, प्रस्तावना, प्राक्कथन, आमुख आपके समक्ष प्रस्तुत है.

एक और आवश्यक बात! इस बार “सदाबहार काव्यालय- 3” को शुरु करने का विनम्र आग्रह-अनुग्रह हमारे एक ब्लॉगर-पाठक-कामेंटेटर भाई गौरव द्विवेदी जी के सौजन्य से आया. इस श्रंखला का पहला भाग “सदाबहार काव्यालय” और दूसरा भाग “सदाबहार काव्यालय” के शीर्षक से आया था. गौरव भाई ने ही इस श्रंखला के लिए वतौर शीर्षक “पुनः सदाबहार काव्यालय” प्रस्तावित किया है. इस पर आप सबके विचार आमंत्रित हैं. आपके विचार पहुंचते ही श्रंखला का आग़ाज़ हो जाएगा, हमारे पास पहली रचना पहुंच चुकी है. एक बार फिर आप सबका आभार, शुक्रिया, करम, मेहरबानी और धन्यवाद.

चलते चलते-
हमारा पहला ब्लॉग था ”जनसंख्या की बाढ़”. यह ब्लॉग 11 जुलाई 2011 में आया था. उसी दिन अपना ब्लॉग का आगाज़ हुआ था. आपको ध्यान ही होगा, कि 11 जुलाई को ”विश्व जनसंख्या दिवस” होता है. आप लोग भी कामेंट्स में अपने पहले ब्लॉग के बारे में जानकारी दे सकते हैं.

काव्य-रचनाएं भेजने के लिए पता-
[email protected]

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सदाबहार काव्यालय- 3: एक परिप्रेक्ष्य

  • लीला तिवानी

    आपको याद होगा कि सदाबहार काव्यालय- 1 और 2 में ”जय विजय” के भी अनेक साहित्यकारों की काव्य-रचनाओं ने भी स्थान पाया है. सदाबहार काव्यालय- 3 में सभी विषयों पर सभी सुधिजनों की सार्थक, सटीक व सकारात्मक काव्य-रचनाएं सादर आमंत्रित हैं.

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