सुनो सजना…
सुनो सजना…
सुनो सजना !
सुरमई शाम ने फिर
शरारत भरी,,,
साजिश की है।
सुनहरे सपने दिखा,
सतरंगी एहसास जगा,
सात सुरों की छेड़ के सरगम,
संग दिल के,,,
दिल्लगी की है।
सुनो साजन !
सांसों ने फिर सांसों में
सिमटने की तमन्ना की है ।
अंजु गुप्ता