गीत/नवगीत

तेरे बिन, मैं रहा अधूरा

तेरे बिन, मैं रहा अधूरा, प्रेमी संग तू पूरी है।
संग साथ की चाहत मेरी, तेरी चाहत दूरी है।
प्रेम का तूने, राग अलापा।
अकेलापन मुझको है व्यापा।
षडयंत्रों को पूरा करने,
कोर्ट में जाकर, किया स्यापा।
प्राणों पर आघात किया, फिर कहती मजबूरी है।
तेरे बिन, मैं रहा अधूरा, प्रेमी संग तू पूरी है।।
झूठ और छल करके, रानी।
तूने याद दिला दी, नानी।
मैंने तो विश्वास किया था,
विश्वासघात का, पिलाया पानी।
विश्वास कभी, पा न सकेगी, भले कानूनी सूरी है।
तेरे बिन, मैं रहा अधूरा, प्रेमी संग तू पूरी है।।
कहीं भी जाकर, अब तू लड़ ले।
किसी के ऊपर, जाकर चढ़ ले।
जीवन में ना, शांति मिलेगी,
कितनी भी, तू जिद पर अड़ ले।
तेरी चाहत पूरी हो बस, मेरी रही अधूरी है।
तेरे बिन, मैं रहा अधूरा, प्रेमी संग तू पूरी है।

— डाॅ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)