सामाजिक

ममता

स्त्री की अनेक विशेषताओं में से उसकी एक अनमोल विशेषता है- उसकी ममता। जो उसमें उस समय से ही परिलक्षित हो जाती है जब उसका कोई छोटा भाई या बहन जन्म लेता है, वो हर पल उसे प्यार करना और दुलारना चाहती है।यह ममता उसकी अपने माता-पिता के प्रति भी होती है, जब कभी भी अपने माता-पिता को परेशान देखती है तो चिन्तित हो जाती है और सारे जतन करती है उनको खुश देखने के लिए।
स्त्री की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसका यह गुण भी बढ़ोत्तरी करता है और यह प्यार-ममता वो हरेक पर लुटाती है, जिसे वो प्यार करती है।फिर जब उसकी शादी होती है तो ये ममता पत्नी के प्यार की सहगामी होती है|
आपने अक्सर सुना होगा पुरुषों को यह कहते,“मुझे माँ की तरह दुलार करने वाली, दोस्त की तरह हमेशा साथ निभाने वाली, प्रेमिका की तरह प्रेम करने वाली पत्नी चाहिए।”और स्त्रियाँ इन सभी गुणों से सराबोर होती है| वो अपने पति को माँ की ममता,दोस्त का साथ,पत्नी का प्यार और सन्तान का सुख सब प्रदान करती है| पर सबसे ज्यादा ममता स्त्री देती है अपनी सन्तान को,इसीलिए माँ की ममता को सबसे महान कहा गया है।जब एक स्त्री माँ बनती है, उस पल वह सम्पूर्ण होती है।अपनी नींद, अपना सुख, अपने सपने  सब कुछ अपनी सन्तान की मुस्कान के लिए कुर्बान कर देती है।लोग कहते हैं कि जन्म देने वाली माँ ही सबसे ज्यादा प्यार करती है अपनी सन्तान से, पर मेरे विचार से ऐसा नही है।स्त्री कभी भी, किसी भी रुप में अपनी ममता को विकृत नही होने देना चाहती, आखिर ये ही तो सबसे अनमोल गहना है उसका।सच है स्त्री के पास ममता से बड़ा कोई अभिमान नही।ये गुण तो है ऐसा जो भगवान के भी पास नही।

— अरुणा कुमारी राजपूत

अरुणा कुमारी राजपूत

स.अ. आ.अं.मा.संविलयन विद्यालय-राजपुर वि.ख.-सिम्भावली,जनपद-हापुड़,उ.प्र.