सरस्वती वंदना
माँ भवानी, जगत जननी, शारदे तू प्यार दे माँ।
ले मुझे अपनी शरण मे, और करुणा वार दे माँ।।
द्वार तेरे आगई मैं, इक दरस की आस ले कर।
छंद, मानक, शुद्ध रचना-धर्मिता की प्यास लेकर।
जल्प मेधा इस अकिंचन, को जरा उपहार दे माँ-
ले मुझे अपनी शरण मे, और करुणा वार दे माँ।।
तान वीणा वादिनी तू, ज्ञान देवी भारती है।
स्वेत वाहन वाहिनी नित स्वर सजा कर तारती है।
हाँथ से अपने सभी को, ज्ञान का भंडार दे माँ-
ले मुझे अपनी शरण मे, औरकरुणा वार दे माँ।।