विरह के दिन गए भगवन, पुनः निज धाम आए हैं। जन्मभूमि प्रफुल्लित है, सखी मेरे राम आए हैं।। खिली जब भोर की किरणें, हुई बरखा भी मतवाली। समद से नीर भर-भर कर, उमड़ बैठी घटा काली। पटाखों की भी धुन जैसे, मधुर संगीत लाईं हैं। नगर में आज उत्सव है, बजे बहुधा बधाई है। दरस […]
Author: क्रांति पाण्डेय
गीत
कारगिल विजय दिवस विशेष सेना के अमर सपूतों को, मैं करूँ नित्य, शत – शत प्रणाम। अर्पित मेरा तन मन सब कुछ, तुम पूज्य, पुनीत हो पूण्य धाम। मैं शीश नवाने आई हूँ, निज राष्ट्र धरा की माटी पर। निः स्वार्थ प्राण के बलिदानी, इस वंदनीय परिपाटी पर। न्योछावर सबकुछ है तुमपर, मम ख्याति और […]
सरस्वती वन्दना
हे माँ मुझको गीत दो ऐसा, जिसमें मधुर संगीत भरे हों। अमिट हो वीणा की लय जिसमें, धुन कोयल से प्रीत भरे हों।। तुम हो देवी ज्ञान की माता, तुम से ही ये वर्ण बने हैं। शब्द, वाक्य, भाषाओं के सब, पोषित तुमसे पर्ण तने हैं। कृपा तुम्हारी, गुरु, पितु के संग, इष्ट अक्षरातीत भरे […]
गीत
अपने जीवन के स्वर्णिम पल, तेरे साथ बिताऊंगी । साथी तू मेरा बन जाये, मैं इतिहास रचाऊंगी ।। कुछ नामुमकिन ना होगा यदि, साथ अगर तेरा मिल जाये । पथ के सारे सूल पिघल कर, पुष्प सु-मृदु से बन जायें ।। गर तू थोड़ा हाँथ बढ़ा दे, शोलों पर चल जाऊँगी । साथी तू मेरा […]
सरस्वती वंदना
माँ भवानी, जगत जननी, शारदे तू प्यार दे माँ। ले मुझे अपनी शरण मे, और करुणा वार दे माँ।। द्वार तेरे आगई मैं, इक दरस की आस ले कर। छंद, मानक, शुद्ध रचना-धर्मिता की प्यास लेकर। जल्प मेधा इस अकिंचन, को जरा उपहार दे माँ- ले मुझे अपनी शरण मे, और करुणा वार दे […]
गीत
माँ भवानी, जगत जननी, शारदे तू प्यार दे माँ। ले मुझे अपनी शरण मे, और करुणा वार दे माँ।। द्वार तेरे आगई मैं, इक दरस की आस ले कर। छंद, मानक, शुद्ध रचना-धर्मिता की प्यास लेकर। जल्प मेधा इस अकिंचन, को जरा उपहार दे माँ- ले मुझे अपनी शरण मे, और करुणा वार दे माँ।। […]
गीत
क्या खता है हुई,? हमको बतलाइए? दूर बैठे हैं क्यों ? पास आ जाइये। भूल मुझसे हुई गर, बता दीजिए? आप खुद को न ऐसे सजा दीजिए! हमको मालूम है, यूँ न रह पाएंगे, होके हमसे जुदा, आप मर जाएंगे! फिर ये क्यूँ फासले,हम को समझाइए? दूर बैठे हैं क्यों ? पास आ जाइये।। ये […]
बहन की डायरी भाई के नाम।
#बहन #की #डायरी #भाई #के #नाम# कैसे हो भैया ! मैं तुम्हारी छोटी सी,मोटी सी और शरारती बहन क्रांति, पहचानते हो ना मुझे? मैं वही क्रांति हूं जो आज से 14 वर्ष पूर्व तुम से लड़ती,झगड़ाती थी,तुम्हारे मजबूत कंधों में झूलती थी । आह! कितना मनोरम दृश्य था वह एक कंधे में मैं,दूसरे कंधे में […]
1) तूँ प्यार से मेरा सर जो सहलाती नहीं है । तेरे तस्वीर की माला मुझे सुहाती नहीं है ।। 2) तेरे वह नेह का आंचल नहीं पूचकरता मुझको । तेरा वह दूर जाना क्यों नहीं दुत्कार था मुझको ।। “दीपक्रांति”
मुक्तक
सृजन है धेय जीवन का, यूँ ज़ाया जा नहीं सकता । जो गुज़रा वक़्त कांटो में,वो लाया जा नहीं सकता ।। मन: रुपी ये चट्टाने, कठिन, दुर्गम भी होती हैं । गुलिस्ताँ सहज उन पर भी, उगाया जा नहीं सकता ।। व्यस्त रहने वाले सभी, रास्ते पर आ रहे हैं । घरों पर जान तजने […]