गीत/नवगीत

गीत

अपने जीवन के स्वर्णिम पल, तेरे साथ बिताऊंगी ।
साथी तू मेरा बन जाये, मैं इतिहास रचाऊंगी ।।

कुछ नामुमकिन ना होगा यदि, साथ अगर तेरा मिल जाये ।
पथ के सारे सूल पिघल कर, पुष्प सु-मृदु से बन जायें ।।
गर तू थोड़ा हाँथ बढ़ा दे, शोलों पर चल जाऊँगी ।
साथी तू मेरा बन जाये, मैं इतिहास रचाऊंगी ।।

बाँह अगर मिल जाएं तेरी, मोम सरीखे गल जाऊँ ।
तप्त दुपहरी में भी मैं तो, वर्षा बन कर ढल जाऊँ ।।
तू थोड़ा सा प्यार जता दे, मैं तुझ पर मिट जाऊंगी ।
साथी तू मेरा बन जाये, मैं इतिहास रचाऊंगी ।।

— क्रांति