6 इंद्रधनुषी कविताएँ
1.
इंद्रधनुष
बारिश और रुमानियत
साथ-साथ,
सूरज को
रोज-रोज
देख ही लिए,
पर ‘इंद्रधनुष’ देखे-
बरसों हो गए !
2.
कई अफ़साने
जादूगर जग्गा जी कहीस-
चूहा अगर पत्थर का हो,
तो सभी पूजते हैं,
मगर जिंदा हो,
उसे मारे बगैर हमें चैन कहाँ?
सांप अगर पत्थर का हो,
तो सब पूजते हैं,
जिंदा हो तो मार दिए जाते।
मां-बाप अगर तस्वीर में हो,
तो सब पूजते हैं,
जिंदा हो तो दुत्कारते हैं!
इक पत्थर और फ़ोटो से
इतना प्यार,
क्या यही ज़िन्दगी है,
मेरे यार!
3.
मसिजीवी
हम मसीहा नहीं हैं,
मसिजीवी हैं !
तभी तो सबकुछ लिख डालते हैं,
अन्य सभी के पोस्टमार्टम कर डालते हैं,
सिर्फ स्वयं को छोड़कर ?
फिर मसीहा कैसे बनूँ ?
कोई बतलाए तो जरा ?
4.
असफलता डॉटकॉम
फिर एक असफलता..
बीपीएससी की 64वीं मुख्य परीक्षा में
रिजल्ट
मेरे पक्ष में नहीं रहा..
क्या अंगूर खट्टे हैं ?
मित्र कहेंगे-
‘दम ही नहीं
और चले
बाघ से दोस्ती करेंगे !’
5.
चोर-चोर
अगर एक मौसेरे भाई चोर है,
तो हिंदी कहावत के अनुसार,
दूसरे मौसेरे भाई को भी लोग
चोर कहेंगे
क्योंकि चोर-चोर मौसेरे भाई,
तो हम चचेरे-फचेरे भाई बन जाएँ,
फुफेरे बन जाएं,
ममेरे बन जाएं,
पर मौसेरे मत बनिए !
6.
कुतर्की पढ़ाई
‘मध्यमार्गी’
पढ़े-लिखे ‘लोग’
लिखे-पढ़े ‘लंठ’ होते हैं !
वे ‘बतुला’ खूब करेंगे
और 100 फीसदी
असहमति जताएंगे !
वे कुतर्क करेंगे
और आडम्बरी संस्कारों से
आबद्ध रहेंगे !