कविता

सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 1

मैं तुम्हें कैद करना चाहता हूँ !
मैं तुम्हें कैद करना चाहता हूँ
पर किसी बंद पिंजरे में नहीं
मैं तुम्हें कैद करना चाहता हूँ
बस अपने ही कैमरे में
किसी बंद पिंजरे में नहीं
मेरे मन में तुम बस गई हो
छवि हृदयांकित कर गई हो
दुनिया को दिखलाना चाहता हूँ
हर इक दिल में तुम्हारे प्रति
मैं प्यार जगाना चाहता हूँ
चंचल चपल नटखट हो तुम
अठखेलियाँ बहुत करती हो
इक टहनी से दूजी पर कूद
इस पल दिखती उस पल छुपती
पत्तों में तुम छुप जाती हो
फूलों पे तुम मंडराती हो
पर पास नहीं आती हो
मेरे कन्धों पर आओ बैठो
हाथों से मेरे दाना चुग लो
पर तुम तो फुर्र उड़ जाती हो
विश्वास तुम्हें नहीं मानव पर
भय यही सताता है यह तुमको
पिंजरे में कैद न कर ली जाऊँ
फिर प्रियतम से मैं अपने
शायद कभी ना मिल पाऊँ
देखते रहते राह तुम्हारी
नन्हे बच्चों की चिंता है
भूखे कहीं न सो जाएं
आखिर तू तो एक माँ भी है
मैं तेरा दर्द समझता हूँ
तेरे कठिन परिश्रम को
श्रद्धा से नमन मैं करता हूँ
नित प्रतिदिन सुन आना तू
मेरे घर के इस अंगना में
गीत अपने कलरव के सुनाना
तू मेरी इस बगियन में
पिंजरे में नहीं करूँगा कैद तुम्हें
यह भीष्म प्रतिज्ञा करता हूँ
विश्वास करोगी तुम मुझ पे
आशा मैं यही करता हूँ.
-इंद्रेश उनियाल
संक्षिप्त परिचय
पब्लिक सेक्टर से एक सेवानिवृत अधिकारी, बचपन से ही पढ़ने का शौक. विभिन्न भाषाओं में साहित्य पढ़ने में अत्यधिक रुचि. खेल, भूगोल, इतिहास, देश विदेश की राजनीति व आर्थिक गतिविधियों पर नज़र तथा पर्यावरण संरक्षण में रुचि. विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए जमीनी स्तर पर कार्य किया. पहले फुटबाल, हॉकी और क्रिकेट खेलता था, अब शतरंज खेला करता हूँ. पिताजी के अथक प्यार और मार्गदर्शन ने साहसी बना दिया और माताजी की ममता और दक्षता ने व्यावहारिक बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उनको नमन करते हुए मैं उनका हार्दिक आभारी हूं. स्वयं के जीवन में घटी घटनाओं, आसपास जो देखता हूँ सुनता हूँ, जो पढ़ता हूँ, जीवन के खट्टे मीठे अनुभवों से मुझे जो कुछ भी प्रेरणा जिस किसी से मिलती है, उसी को अपने शब्दों में बयान करने की कोशिश करता हूँ. कुछ स्थानीय साप्ताहिक समाचार पत्रों के लिये भी लेख लिखे हैं.
इंद्रेश उनियाल का ब्लॉग-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/author/indreshuniyalyahoo-com/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 1

  • लीला तिवानी

    इंद्रेश भाई, आपकी कविता हमारे फेसबुक पर बहुत पसंद की जा रही है. साहित्यिक भाषा के तो आप विशेषज्ञ हैं ही, आपके शीर्षक भी विशेष होते हैं. अब देखिए न! बहुत-से लोगों ने इस कविता को आपका आकर्षक शीर्षक ”मैं तुम्हें कैद करना चाहता हूँ !” देखकर ही पढ़ा होगा. कविता पढ़कर उनको पता चला होगा, कि आप प्रकृति प्रेमी हैं और एक नन्ही-सी, प्यारी-सी चिड़िया को कैद करना चाहते हैं, वह भी कैमरे में! बहुत-बहुत बधाई इस खूबसूरत रचना के लिए.

  • लीला तिवानी

    भाई इंद्रेश उनियाल का भी बहुत-बहुत शुक्रिया, जिन्होंने सदाबहार काव्यालय-3 का आह्वान होते ही अपनी बहुत खूबसूरत-सार्थक-सटीक-सदाबहार-सकारात्मक कविता भेज दी. कविता का शीर्षक है- ”मैं तुम्हें कैद करना चाहता हूँ !” किसी को कैद करने की चाह क्या अच्छी बात है! यह तो आप कविता पढ़कर ही जान पाएंगे, हम तो बस इतना ही कह सकते हैं, कि यह कविता प्रकृति प्रेमी भाई इंद्रेश उनियाल के विचारों के अनुरूप है. रसास्वादन कीजिए कविता का भी और सदाबहार काव्यालय-3 के पहले अंक का भी. यह तो आप जानते ही हैं, कि इस श्रंखला में सभी कवि-लेखक आमंत्रित हैं, भले ही वे ब्लॉगर न भी हों. सबके लिए खुला आमंत्रण है.

  • लीला तिवानी

    अत्यंत हर्षदायक समाचार है, कि सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन यानी सदाबहार काव्यालय-3 का आग़ाज़ हो गया है. इस श्रंखला के आह्वान का श्रेय हमारे ब्लॉगर साथी गौरव द्विवेदी को जाता है, जिनके विनम्र आग्रह-अनुग्रह के सौजन्य से यह इस श्रंखला का प्रारंभ हो सका है.

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