सामाजिकता पर 5 अप्रतिम कविताएँ
1.
सुश्री अक्षरा
कवि की पुत्री कवयित्री !
भतीजी अक्षरा को
अनगिनत शुभमंगलकामनाएँ,
पर सपनों में
विज्ञान अन्वेषण करना,
चिकित्सा अन्वेषण आदि की बातें भी आए,
यही पाथेय है, सुश्री अक्षरा !
पिताजी के रचनाकर्म नहीं अपनाना, बेटी !
2.
नो स्किन टच
अभी
नो स्किन टच,
बट
ओनली स्क्रीन टच !
रहिये दूरी,
जो है–
बेहद जरूरी !
नो किस,
ओनली मास्क !
3.
इना मीना डिका
अभी
नो शोर,
नो हॉर्न !
प्लीज, दम्पति जी !
अपनी संपत्ति का इस्तेमाल
फिर कभी करना,
अभी जीना है,
घाट-घाट पीना है !
जवानी और जान बची,
तो फिर इना, डिका, मीना है,
वरना बोरिया-बिस्तर सीना है !
4.
समारोह नहीं !
कोरोना काल में
घर हो या बाहर
‘समारोह’ मनाना उचित नहीं !
किन्तु भतीजे अंशु को
स्वस्थजीवन और भविष्य में
स्वर्णिम करियर के लिए
हृदय से शुभमंगलकामनाएँ !
सपरिवार आप स्वस्थ, सुरक्षित
और सानंद रहिये,
किन्तु ध्यान रखिये !
5.
अभी सबकोई फ़ीका
इना, मीना, डिका….
अभी सबकोई फ़ीका !
अभी जान बचाओ अपना,
अगर परिवार से प्रेम है,
तो दूरी अपनाओ, भैया !
नहीं तो कोई भी
नहीं पार लगाएगी नैया !
इना, मीना, डिका….
अभी सबकोई फ़ीका !