6 मनसोहिनी कविताएँ
1.
प्रतिभा को पहचानिए
हमारे देश में
50 देश समा सकते हैं !
चाहे जनसंख्या की कहो
या क्षेत्रफल की !
पर वैसा सामर्थ्य
या तकनीक क्यों नहीं है यहाँ ?
गाँवों में कई उपलब्धियाँ हैं,
पर उसे प्यारे नेता और सरकार
न पहचान पाते हैं, न सलाम करते हैं !
प्रतिभाओं को क्यों नहीं खोज रहे,
प्यारे नेता और सरकार !
2.
रक्षाबंधन नक्को
मास्क और दूरी के कारण
इसबार दिल से रक्षाबंधन !
वैसे मैं बहनों को राखी बाँधता हूँ,
किन्तु इसबार
मास्क और दूरी के कारण
न कलाई स्पर्श हो पाएगी,
न ही लड्डू दूसरे के हाथों
मुँह तक जाएगी !
इसलिए इसबार यह पर्व मनाकर
महामारी फैलाना नहीं चाहता !
3.
विवेकहीन
जब शिक्षक ही नहीं रहेंगे,
तो पढ़ेंगे कैसे बच्चे !
बच्चों को सब्जबाग मत दिखाइए
और यथार्थवादी बनिए !
आशावादी विवेकहीन बनाता है
और इसी में लोग
स्वर्ग की कामना करने लग जाते हैं !
4.
एक्सपोज़ नक्को
नेहरू और लालू को
बार-बार एक्सपोज़ कर
आप वर्त्तमान को
खराब ना कीजिए
कि उसने विकास नहीं किया,
सड़कें नहीं बनाई ?
आप अपना काम करते जाइये !
कामों का फल तो हमलोग देंगे !
5.
मच्छर की दवा
2,000 सालों से
सम्पूर्ण संसार के वैज्ञानिक
‘मच्छर’ भगाने की
दवा नहीं खोज पाएँ
और ‘कोरोना’ भगाने की दवा
इतनी जल्दी कैसे आ पाएगी ?
क्या सचमुच में ?
6.
झमाझम बारिश
सुंदर जोड़
रवि जोड़
बारिश जोड़
प्रभात जोड़
यानी
सुंदर बारिशी प्रभात,
सुप्रभात !
झमाझम बारिश,
मनमोहिनी, मनसोहिनी !