कविता

/ कोई शिकायत नहीं /

हंसनेवालों को हंसने दो
यह नयी बात तो नहीं
अपने रास्ते पर चलनेवालों को
मैं फिसलता हूँ, गिरता हूँ
लड़खड़ाता हूँ तो क्या
विचारों की दुनिया में
एक स्वतंत्रता है, अंतर्वस्तु है मेरी
सामाजिक चिंतन में समर्पित हूँ
अपना कुछ देने का
एक प्रबल प्रयास है देखो
मेरे हर कदम में
ज्ञान का एक प्यास है
असमानता के इस संसार में
विचलित दुःख का दाग है
जिम्मेदारी ले ली मैंने
जिंदगी लेकर इस दुनिया में
व्यर्थ न गँवाता, इस जन्म को
पल – पल सँवारता एकात्मकता को।
मानवता के चिंतन में
गहराई हूँ मैं अपने आप में
विशाल तत्व में
मैं भी एक जीव हूँ, चेतना हूँ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।