गीत – पथिक तुझे पथ पर चलना है
पथिक तुझे पथ पर चलना है
अमर ज्योति बन कर जलना है।
कंकड़ पत्थर से टकराना
कठोर तप्त भूमि पर चलना,
तुझे नहीं हौसला खोना है।
पथिक तुझे पथ पर चलना है
अमर ज्योति बन कर जलना है
तेरा जीवन अविरल काया
घनीभूत पीड़ा की छाया,
तुझे अकिंचन नहीं रोना है।
पथिक तुझे पथ पर चलना है
अमर ज्योति बन कर जलना है।
हो चाहे रजनी का डेरा
प्रात प्रभात ने मुंह है फेरा,
तुझे चीर कर तम बढ़ना है।
पथिक तुझे पथ पर चलना है
अमर ज्योति बन कर जलना है
हो शूलों ने तुझको घेरा
फूलों का नहीं कहीं बसेरा,
तुझे महक बनकर खिलना है।
पथिक तुझे पथ पर चलना है
अमर ज्योति बन कर जलना है।
हो चाहे विष की बेला
खो गए सब तू है अकेला,
तुझे नहीं रुक कर मुड़ना है
पथिक तुझे पथ पर चलना है
अमर ज्योति बन कर जलना है।
— निशा नंदिनी भारतीय