गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

हुक्म की तामील करना कोई’ बेदाद नहीं
बादशाही सैनिकों से कोई’ फ़रियाद नहीं |
“देशवासी की तरक्की हो” पुराना नारा
है नई बोतल, सुरा में तो’ ईजाद नहीं |
भक्त था वह, मूर्ति पूजा की लगन से उसने
द्रौण से सीखा सही वह, द्रौण उस्ताद नहीं |
देश है आज़ाद, हैं आज़ाद भारतवासी
किन्तु दकियानूसी’ धार्मिक सोच आज़ाद नहीं |
लूटने का मामला है, लूटते सब नेता
दीखते ये नेक पर ये, कोई’ अपवाद नहीं |
चोंच से चुगकर सभी खाए परिंदे जैसे
सब गए छुट्टी बिताने कोई सैय्याद नहीं |
प्रेम आँगन में बहारें आती’ थी बिन मधुमास
अब सनम वो प्यार का जागीर आबाद नहीं |
जुमले’ बाजी में मज़ा आता था’ पहले पहले
किन्तु अब तो सब पुराने जुमले’ में शाद नहीं |
करलो’ जितने चाहे’ झूठे वादे’ सब करते हैं
ये चुनावी खेल में कोई भी’ तो बा’द नहीं |
जन्म हिन्दुस्तान, पाकिस्तान की गाते गीत
देश द्रोही जो है’ ‘काली’ बैध औलाद नहीं |
शब्दार्थ :
बेदाद : अत्याचार ; ईजाद =नयापन
सैय्याद = चिड़ीमार, व्याध,
शाद =ख़ुशी , बा’द=पीछे

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !