बाल गंगाधर तिलक की जयंती
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तम्भ, गणित के शिक्षक, अधिवक्ता, समाजसेवी तथा लाल, बाल, पाल के “बाल गंगाधर तिलक” का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था । वे तब कॉलेज जानेवाले भारतीयों की प्रथम पंक्ति के ध्वजवाहक थे, आधुनिक भारत के शिल्पकारों में एक थे । उसने ही कहा था- ‘स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे ले कर रहूंगा।’ जिसे लेकर लोगों ने उन्हें ‘लोकमान्य’ की उपाधि भी दिए थे।
आजतक के अनुसार, तिलक ने मराठी में ‘मराठा दर्पण’ और हिंदी में ‘केसरी’ नाम से दो दैनिक अखबार शुरू किए, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया । तिलक अखबार में अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति अंग्रेजों की हीन भावना की वे खूब आलोचना करते थे। अखबार केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भी भेजा गया। भारत के लोगों की हालात में सुधार करने और उन्होंने पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। वह चाहते थे कि लोग जागरूक हो । देशवासियों को शिक्षित करने के लिये शिक्षा केंद्रों की स्थापना की।
वे होमरूल आंदोलन के संस्थापकों में एक थे। लोकमान्य तिलक को 3 जुलाई 1908 को राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था । अखबार ‘केसरी’ में क्रांतिकारियों, यथा- खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी के बम हमले का बचाव करने को लेकर सम्पादकीय लिखने तथा उन्हें स्वराज का आह्वान करने के कारण गिरफ्तार किया गया था, जिसपर उन्हें 6 साल की सजा हुई थी और बर्मा के मांडले जेल में उन्हें बंद कर दिया गया । जेल में रहकर वे क्रांतिकारी विचारों के साथ-साथ आध्यात्मिक विचारों की तरफ भी उन्मुख हुए तथा ‘गीता रहस्य’ की रचना कर डाले।
वे गरम दल के नेता थे यानी लाल, बाल, पाल यानी लाला लाजपत राय, बाल केशव गंगाधर तिलक और विपिनचन्द्र पॉल की तिकड़ी में एक । बाद में अध्यात्म की ओर भी झुके ! ऐसे व्यक्तित्व और कृतित्व के धनी व्यक्ति को सादर नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि !