मन्नतों की ज़मी
मन्नतों की ज़मी और चाहतों की बरसातें।।
कुछ इस बरस यूँ हुई राहतों की बरसातें।
बाद मुद्दत के खड़की सांकल, तो ये जाना।
बड़ा सुकूँ हैं लिए आहटों की बरसातें।
नहीं आएगा,फिर भी लगता है कि आएगा।
कहीं ज़िंदा है दिल में हसरतों की बरसातें।
सूखी है दिल की धरा कोई मरूथल जैसे।
सिर्फ तन पर है पड़ी रास्तों की बरसातें।
जीने देती हैं कहाँ इस कदर दूरी तुझसे।
मरने भी देती नहीं तेरे खतों की बरसातें।