मन का पंक्षी
शायद मन का पक्षी उड़ान
भरते भरते थक गया है
अब कुछ आराम करना चाहता है
उड़ते उड़ते एक दिन थकना तो था
चाहतों पर लग गई
अब लगामें
चाह के घोड़े अब
थम गए है
क्योंकि सारथी उसका
थक गया है
इस दौड़ के मैदान से
वो हट गया है
कुछ कुछ समझने लग गया
भगवान की चाल को
हार जीत का
उसके लिए अब कोई
महत्व नहीं रह गया
शायद यही कारण है कि
वो अब मन की बात सुनना
कहना चाहता है
*ब्रजेश*