गीतिका/ग़ज़ल

नीरज पुण्य तिथि (19 जुलाई) पर विनम्र श्रद्धांजलि

एक अनुपम  गुलाब  थे  नीरज।
शायरी  की  किताब  थे  नीरज।
प्यार को प्यार ही  कहा  हरदम,
गीत  का  आफताब  थे  नीरज।
मान उनको   खिताब क्या   देते,
चलताफिरता खिताब थे नीरज।
बात  कीजै    अगर  रवानी  की,
एक  बहता  चिनाब  थे  नीरज।
फिल्म के गीत हों कि डायस हो,
हर  जगह  कामयाब थे  नीरज।
इक खनक इक अजब रवानी थी,
गुन गुनाता    रबाब   थे    नीरज।
फर्श  से  अर्श  तक नज़र  रहती,
एेसे  आली   जनाब  थे   नीरज।
हर  बुलन्दी  पे  पाँव  रक्खा था,
इस  तरह  बे हिसाब थे  नीरज।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415