मधुमक्खियां मानव इंजीनियर से भी बड़ी इंजीनियर
जीवों के विकास संबन्धित विज्ञान के सबसे बड़े भीष्मपितामह वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन के अनुसार ‘आज से लगभग 2 लाख साल पहले अफ्रीका के किसी गुमनाम जगह से कपियों की एक शाखा से विकसित होकर दो पैरों पर चलनेवाला एक जीव इतने सालों में समस्त संसार में फैल गया,वही आधुनिक मानव का आदिम पूर्वज था। ‘कहने का तात्पर्य यह है कि अरबों सालों से कीट, पतंगों, भृगों, तितलियों, भौंरों, मच्छरों, मक्खियों तथा मधुमक्खियों से आबाद इस धरती पर आधुनिक मनुष्य का इस धरती पर चरण रखे और उसका विकास मात्र दो लाख वर्षों का ही है।
आज मनुष्य स्वयं को इस धरती पर पाए जाने वाले सभी जीवों में सबसे आधुनिक और उन्नतिशील मानने का भ्रम पाले हुए है,वह आधुनिक युग के शिखर पर पहुँचे विज्ञान की मदद से मानव इंजीनियर और वैज्ञानिक बड़े-बड़े पुल, बहुमंजिली इमारतें, कारें, हवाई जहाज, सूदूर अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यान आदि बहुत कुछ बना रहा है, परन्तु हमारे आसपास ही रहने वाले कुछ अत्यंत नन्हें-नन्हें कीट-पतंगे, जो मानव से आकार-प्रकार और वजन में लाखों-करोड़ों गुना तक कम हैं, जिनका वजन भी नैनोग्राम से भी बहुत कम योक्टोग्राम में होता है,ऐसे सूक्ष्म आकार के नन्हें जीव जैसे, चींटियाँ, दीमकें, ततैये, मधुमक्खियां आदि भी बगैर किसी आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण के अपने घरों, बांबियों और छत्तों को इतने सुव्यवस्थित व संतुलित वैज्ञानिक तरीके से बनाते हैं कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अगर ऐसी संरचना बगैर किसी सहायक वैज्ञानिक उपकरण के बनाने की प्रतियोगिता उक्त नन्हें जीवों और किसी अति मेधावी प्रतिभासंपन्न मानव इंजिनियर से हो,तो निश्चित रूप से उस प्रतियोगिता में ये नन्हें कीट-पतंगे-ही विजयी हो जाएंगे,उदाहरणार्थ चींटियाँ अपने बिलों में जहाँ ये अंडे सहेज कर रखतीं हैं,उस जगह का तापमान अंड़ों के लिए बिल्कुल उपयुक्त होता है,इसी प्रकार दीमकें अपनी बाँबियों को बनाते समय इसका पूरा ध्यान रखतीं हैं कि उनके अंडे और नवजातशिशुओं के लिए दुश्मनों से बिल्कुल सुरक्षित जगह हो और वह कक्ष इतना हवादार हो कि उसका तापमान भी उनके बिल्कुल अनुकूल हो।
मधुमक्खियां तो कीट जगत की सर्वोत्तम इंजीनियर होती हैं,इनके छत्ते का हर कक्ष मिलीमीटर के लाखवें हिस्से तक षटभुजाकार रूप में एकदम हर तरह से सम और बिल्कुल एक जैसी रचना होती है,कोई त्रुटि नहीं,जो आँधी-बारिश आते ही बिखर कर रह जाय।अभी हाल ही में ब्रिटेन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और स्पेन के ग्रनाडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक और भी अत्यंत चमत्कारिक और अति दक्ष इंजीनियर, बिना डंक की एक ऐसी मधुमक्खी की प्रजाति की खोज किया है,जो अपने छत्तों को सामान्य मधुमक्खियों से भी बहुत ज्यादे आकर्षक ,गुलाब के पुष्प क्रिस्टल या मल्टीस्टोरी कार पार्किंग के आकार जैसे छत्ते ऐसे बनातीं हैं,जैसे वे उन्हें बनाने में कोई अज्ञात गणितीय फार्मूले का उपयोग करके बनातीं हों। इन मधुमक्खियों को टेट्रागोन्युला मधुमक्खी भी कहते हैं,वे अपने उक्त आकार के खूबसूरत छत्ते को बनाने में एक ऐसे पैटर्न का दक्षता से उपयोग करतीं हैं कि यह छत्ता जैसे-जैसे बनता जाता है,स्वतः ही एक सुन्दर पुष्प की भाँति गोल घुमावदार होकर एक बेहद खूबसूरत पुष्प सदृश्य बन जाता है !
ये टेट्रागोन्युला मधुमक्खियां निम्नवत चार तरह के छत्ते बनातीं हैं,यथा घुमावदार आकार, बुल्स आई आकार, डबल स्पाइरल आकार और सीढ़ीदार खेत जैसे आकार। इस प्रकार की टेट्रागोन्युला मधुमक्खियों में उपस्थित हजारों-लाखों श्रमिक मधुमक्खियां अपने छतों के किनारों पर बालकनी जैसी रचना बनातीं हैं,यहाँ के हरेक गहराई वाले स्थान में इनकी रानी मधुक्खी द्वारा दिए गये अँडे को रखा जाता है,अँडे को सुव्यवस्थिततौर पर रखने के बाद उसके मुँह को मोम से ही बन्द कर दिया जाता है,फिर उसके ऊपर सावधानी से दूसरी बालकनी की संरचना तैयार कर दिया जाता है। इस अतिखूबसूरत ‘गुलाब के पुष्पनुमा ‘छत्ते को तैयार करते समय ऐसा लगता है कि इन मधुमक्खियों के मस्तिष्क में एक विशेष गणितीय फार्मूले का ब्लूप्रिंट फीड हो..और वे उसी फार्मूले का प्रयोग करके ये बिल्कुल पहले बनाई खूबसूरत रचना की भाँति ही,लेकिन उससे जरा सा गोलाई लिए बनाती चली जाती हैं,इसी प्रकार ये टेट्रागोन्युला श्रमिक मधुमक्खियां एक अत्यंत खूबसूरत और विलक्षण पुष्पाकारनुमा छत्ते का निर्माण कुशलता से पूरा कर देतीं हैं !
— निर्मल कुमार शर्मा