सच्ची शिक्षा
यों तो समझा जाता है यह,
शिक्षा का है अर्थ सीखना,
लिखना-पढ़ना-गिनना शिक्षा ,
पर क्या यह ही होता सीखना?
केवल साक्षर बनने से ही,
शिक्षा पूरी कब होती है?
पढ़-लिखकर गुनना भी सीखो,
तब शिक्षा सच्ची होती है.
सच्ची शिक्षा वह है जो,
मानव में सद्गुण उपजाए,
अच्छी नैतिक शिक्षा देकर,
सच्चरित्रता का पाथ पढ़ाए.
शिक्षा भी ऐसी हो जिससे,
रोजी-रोटी भी मिल पाए,
अपने पांव पर खड़े रह सकें,
इज्जत से जग में जी पाएं.
तन-मन दोनों स्वस्थ बनें और
जीवन में खुशियां आ जाएं,
प्रेमभाव से रहना सीखें,
सुसंस्कृत और सभ्य कहाएं.
देश-विदेश की अच्छी बातें,
सीखें-समझें-ज्ञान बढ़ाएं,
इनको जीवन में अपनाकर,
सारे जग को सुख दे पाएं.
जन्मजात गुण विकसित करके,
नवीनता अर्जित कर पाएं,
मानव सामाजिक प्राणी है,
अनुकूलन की प्रतिभा पाएं.
सच्ची शिक्षा वह ही है जो,
मानव को मानवता सिखलाए,
राष्ट्र-एकता, विश्व-एकता,
पाठ पढ़ा जीवन सरसाए.