कांग्रेस-कांग्रेस स्वाहा !
कांग्रेस-कांग्रेस स्वाहा ! कांग्रेस के ऐतिहासिक ना-अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ही नहीं, आज़ादी से पहले लॉर्ड डफरिन ने भी कहा था– “काँग्रेस सिर्फ़ अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करती है ।” सिर्फ़ श्री नरेंद्र मोदी ही नहीं, आज़ादी से पहले लॉर्ड कर्ज़न ने कहा था– “कांग्रेस अपने पतन की ओर लड़खड़ाती हुई बढ़ती चली जा रही है ।”
देश के राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के गीतकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने कहा था– “काँग्रेस के लोग पदों के भूखे हैं ।” योगी अरबिंदो घोष ने कहा था– “काँग्रेस क्षय रोग से मरने ही वाली है।” आज़ादी से पहले भी काँग्रेस वहीं पड़ी थी, जहाँ आज खड़ी है । गाँधी जी ने ठीक ही कहा था– “अब देश आजाद हो गया है, काँग्रेस को भंग व खत्म कर देना चाहिए ।”
मध्यप्रदेश में विधायकों के टूटने के बाद अब जिसतरह से राजस्थान में टूट हो चुकी है!