नाग पंचमी विश्व के कई देशों में मनाया जाने वाला त्यौहार है। इसे श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है,कि इस दिन नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। नाग की पूजा में नाग को दूध पिलाया जाता है।
यह भी मान्यता है कि सर्प धन की रक्षा करते हैं धन चाहे कैसा भी (गुप्त ,छुपा और गड़ा हुआ) हो अर्थात नाग, लक्ष्मी जी की रक्षा करते हैं और वर्तमान में हम भी प्राचीन काल से यही सुनते आ रहे हैं इसलिए धन संपदा और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। इससे जुड़ी कई प्रकार की कथाएं भी प्रचलित है। सनातन परंपरा में नागों की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान शिव का तो यह गले का आभूषण है।
नाग पंचमी का त्यौहार तब शुरू हुआ जब नागों के राजा तक्षक ने राजा जन्मेजय के पिता परीक्षित को डसकर कर उन्हें मार दिया था। तब जन्मेजय ने पूरी नाग जाति को खत्म कर ने के विचार से एक यज्ञ का आयोजन किया। तब ऋषि के हस्तक्षेप के कारण यज्ञ को रोका गया। उसी दिन से नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाने लगी। इसके साथ-साथ ही नाग पंचमी को मनाने के पीछे कई प्रथाएं-कथाएं प्रचलित हैं।
वैज्ञानिक तथ्य – नाग पंचमी के दिन नागों को दूध से नहलाया जाता है किंतु वर्तमान में यह प्रथा नागों को नहलाने के स्थान पर दूध पिलाने में बदल गई। अगर हम वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो सर्प एक रेप्टाइल (रंगने वाला )जीव है न कि स्तनधारी। रेपटाइल जीव दूध का पाचन नहीं कर सकते। अर्थात नाग दूध को नहीं पचा सकते।लेकिन व्यक्ति की अज्ञानता और अंधविश्वास के कारण सांपों को दूध पिलाया जाता है। जिससे सांप की आंख में इंफेक्शन हो जाता है। जिसमें कई बार उनकी मृत्यु तक हो जाती है। पशुओं के एक सरकारी राजेश वाष्णैय के अनुसार सांप का पाचन तंत्र इस प्रकार का नहीं होता कि वह दूध बचा सके। सांप एक कोल्ड ब्लड( ठंडा खून )और मांसाहारी जीव है। जबकि दूध का सेवन केवल स्तनधारी करते हैं।
नाग पंचमी पर नागों की स्थिति – नाग पंचमी जैसे ही आने लगती है सांपों को नाग पंचमी से एक डेढ़ महीने पहले जंगल से पकड़कर उन्हें बहुत ही निर्ममता से भूखा प्यासा रखा जाता है तथा इनके दांत भी निकाल दिए जाते हैं। ताकि ये काट ना सके। एक महीने बाद इस प्रकार रहने से सांप का शरीर सुख जाने के साथ-साथ उसकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए नाग पंचमी वाले दिन नाग तेजी से दूध पी लेते हैं लेकिन यह उनके लिए बहुत ही नुकसान दे होता है।
अंततः धर्म, परंपरा, संस्कृति आदि का अपना – अपना स्थान और महत्व है किंतु इनकी आड़ में अंधविश्वास को अपनाना बहुत ही गलत और नुकसानदायक भी होता है। अगर आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाए तो सांप इकोसिस्टम का भी एक विशेष अंग है जो मांसाहारी रेप्टाइल्स होने के कारण चुहों तथा अन्य अनाज खराब करने वाले जीवो को खाकर फसलों को सुरक्षित रखते हैं।इसलिए नाग पंचमी के त्यौहार को भी पूरे ज्ञान के साथ भली प्रकार से मनाना चाहिए।कि नागों को किसी प्रकार का नुकसान ना हो। वह भी हमारे प्रकृति का अहम हिस्सा है।
लक्ष्मी सैनी