लघुकथा

देह पर विजयोत्सव

कागज के किस्से दंशयुक्त जरूर है, किन्तु दंश देकर भी वे बहुत-कुछ कहती चली जाती है, सोचने के लिए विवश कर देता है, गाहे-बगाहे से परे ! कभी-कभी तो कैनवास के पास उनके सवाल का कोई जवाब नहीं रहता था । वे अक्सर कहा करती थी कि आजकल के चित्रकार नारी के आन्तरिक सौंदर्य का चित्र न बनाकर उनकी कसी देह को फोकस करते हैं , क्योंकि औरत की भीतरी दृष्टि को पार पाकर ही तब उसकी देह में तैरनेवालों को डूबने का कतई भय नहीं रहता है । औरत की देह पर विजयोत्सव सिर्फ कुशल तैराक ही मना सकता है, ऐसे तैराकों में लियोनार्डो डा विंची के नाम सम्मानपूर्वक लिए जा सकते हैं । कविता रचना और कैनवास में रंग भरने बालस्पर्द्धा तो है नहीं ! यह तो शिल्प की ऊँचाई पर गहन प्रतिस्पर्द्धा की बात है । तभी तो कविता उसके सपने में पहले ही आ जाती थी और जगकर एकबार में ही उसे लिख डालती थी, बाद में न कोई करेक्शन, न ही दुबारा फेयर ! फिर तो दंश-दशा के बतौर कैनवास के संदर्भ में उन्हें कंसीव करना बहुत-बहुत ही मुश्किल था !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.