गीत
कारगिल विजय दिवस विशेष
सेना के अमर सपूतों को, मैं करूँ नित्य, शत – शत प्रणाम।
अर्पित मेरा तन मन सब कुछ, तुम पूज्य, पुनीत हो पूण्य धाम।
मैं शीश नवाने आई हूँ, निज राष्ट्र धरा की माटी पर।
निः स्वार्थ प्राण के बलिदानी, इस वंदनीय परिपाटी पर।
न्योछावर सबकुछ है तुमपर, मम ख्याति और ये क्रांति नाम
अर्पित मेरा तन मन सब कुछ, तुम पूज्य, पुनीत हो पूण्य धाम।
करती है क्रांति सुमन अर्पित, तुम समर वीर रणधीरों को।
राखी की लाज, सुहाग, पिता के सम्बल, जननी वीरों को।
वन, पर्वत, हिम प्रतिकूल झेल, सह जाते हैं जो तप्त घाम-
अर्पित मेरा तन मन सब कुछ, तुम पूज्य, पुनीत हो पूण्य धाम।
तुम से ही रक्षित सीमाएं, हे समर श्रेष्ठ के परिचायक।
श्री राम – कृष्ण के तुम वंशज, हो राष्ट्र भक्त जन के नायक।
तुम ही पिनाक की प्रत्यंचा, तुम ही सुत अंजनी हो ललाम-
अर्पित मेरा तन मन सब कुछ, तुम पूज्य, पुनीत हो पूण्य धाम।