मिसाइलमैन के सपनों में
श्रद्धेय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साहब पहले ‘भारतरत्न’ बने, तब राष्ट्रपति ! वैसे डॉ. एस. राधाकृष्णन को जब ‘भारतरत्न’ से अलंकृत हुए, तब वे भारत के उपराष्ट्रपति थे, फिर वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति हुए । कलाम साहब यानी He was the perfect symbol of meritocratic India, the ideal citizen, and the most positive Indian: Born in a village to a poor fishing family in Rameswaram, he rose through dint of his own hard work.
एक कविता उस “साइंस पुरुष” के नाम, कवि टी. मनु के सौजन्य से :-
“अबूझ पहेली ईश्वर क्यों उठाया उन्हें ….एक प्रश्न !
इंडिया तूने खो दिया एक महान बेटे को ।
जो ज्ञाता था “क़ुरान और श्रीमद्भगवद्गीता” का ।
जो ज्ञाता था “अग्नि और पृथ्वी” मिसाइल का ।
वो जीवन देने वाले … अनकही, अनसुलझी, अबूझ पहेली
…जिन्हें नाम दिया गया है “ईश्वर” ?
तूने उसे “पृथ्वी से उठा लिया”….?
क्योंकि उसने बनायी थी “पृथ्वी मिसाइल”…।
जिसने लिया जीवन में दो छुट्टी …
एक पिता के मरने पर और दूजा माँ के मरने पर !
अरे वो निर्मोही “ईश्वर” तूने उसे उठा लिया ।
देश को विकसित किया “मिसाइल ” से…
भारतीयों ने नाम दिया “मिसाइल मैन ” …….
अरे वो “अदृश्य पराशक्तियों ” वाले
ईश्वर तूने उसे “मिसाइल गति” से अपने पास बुला लिए ।
देशभक्ति हो जिनमें, देश को दुल्हन मानने वाले
“science पुरुष ” के लिए रोने वाला भी किसी “अपने ” को नहीं छोड़ा।
मैं मानता हूँ कि आप हो ज़िद्दी पर ….
पर अपनी जिद तो बदलो अपने बच्चों के लिए ।
माना मृत्यु चिरंतन सच है , किन्तु हे मेरे प्रभु !
तेरे पास उनके लिए और “16 साल” नहीं थे,
जो शतक पूरा कर लेते ज़िन्दगी के ।
ये “16 साल के बच्चे” उन्हें कितने प्रिय थे ,
तुमसे क्या छिपा है ।
तुम्हारे पास क्या अच्छे लोगों की कमी हो गयी है,
जो पृथ्वी से असामयिक उठा लेते हो ।
इस बार तो हद कर दी, आपने रक्षा पुत्र को उठा लिया ।
सपनों की सच्चाई में जीने वाले को उठा लिया ।
एक अख़बार वितरक जब पायलट नहीं बन पाया,
तब भी हार नहीं मानी
और अग्नि की उड़ान कर मिसाइल मैन कहाया ।
स्वदेशी उपग्रह भी छोड़े ,”अणु बम” के लिए बुद्ध फिर मुस्काये,
कोई “भारत रत्न” राष्ट्रपति बने ,
“गीता – क़ुरान ” भी पढ़ते साथ साथ,
परंतु “विज़न 2020” तक पहुँच न पाये ।
परंतु अंतिम प्रयाण रहे बच्चों के साथ, वीणा भी बजाते।
एक बार फिर “चाचा नेहरू ” “27” को ही बच्चों से दूर चले गए।
हिन्दू तीर्थ “रामेश्वरम” में एक मुस्लिम परिवार में जन्मे ….
हे अल्लाह ! उन्हें फिर भेजें यहाँ ….
हा “चाचा कलाम “, वालेकुम सलाम….. श्रद्धा सुमन ।