5 अगल्प क्षणिकाएँ
1.
घर का भूला
जो जहाँ सहज रहे,
वहीं अच्छा है…..
गुलाम नबी आजाद से त्रस्त
और बच्चे तेजस्वी से आहत हो
नीतीश जी की घर वापसी
बुरा थोड़े ही है !
कुछ ही साल पीछे का भोला (भूला)
बारह बजे रात्रि घर वापस आ जाये,
तो वो भूला थोड़े ही कहा जायेगा !
2.
अस्मत लुटेरे
‘बाल विवाह’
रोकते-रोकते
‘बालिका गृह’ में
अस्मत लूटते चले गए
मूँछवाले अंकल
और तोन्दुअल नेताजी !
3.
मैं कटिहार हूँ
‘मैं कटिहार हूँ’
खालिश दंतकथाओं से
लबरेज ना हो !
ब्रिटिश गज़ेटियर में
कटिहार की
सही चर्चा नहीं हुई है !
शोध-पुस्तकों का अध्ययन हो !
तभी कटिहार को समझ पाना संभव है !
4.
अ-दंत कथा
दंत कथाओं में
वास्तविक इतिहास नहीं होते !
कटिहार जिले में
ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी थे,
जिसे सरकार ने
न ताम्रपत्र दिए,
न पेंशन !
5.
अगल्प कथा
हकीकत के लिए विवाद होंगे ही,
क्योंकि दरबारियों ने मनोनुकूल इतिहास लिखे !
इसलिए हर ऐतिहासिक फिल्में
विवादास्पद होती हैं,
न चाहकर भी !
या गाहे-बगाहे !
हाँ, साक्ष्य पर जाइये,
गप्प व गल्पकथा पर नहीं !