चार बाल गीत- 1
1.प्यारे बच्चो, नेक बनो
एक बनो, एक बनो,
प्यारे बच्चो, नेक बनो.
जब भी शाला से घर आओ,
सब चीज़ें करीने से लगाओ.
जूते ठीक जगह सब रखना,
कपड़े भी तह करके रखना.
साबुन से तुम धोना हाथ,
सीखो रहना सबके साथ.
एक बनो, एक बनो,
प्यारे बच्चो, नेक बनो.
2.उपकार
वृक्ष फूल-फल-अन्न हैं देते,
नदियां देतीं पानी,
सूरज धूप-रोशनी देता,
चंदा अमृत-दानी.
धरती धीरज का धन देती,
अम्बर प्यार लुटाए,
जो करता उपकार जगत में,
ईश्वर-सम यश पाए.
3.सीख
फूल हमें हंसना सिखलाते,
भौंरे हमको गाना,
तितली जग रंगना सिखलाती,
पानी प्यास बुझाना.
चींटी मेहनत सिखलाती है,
दीपक राह दिखाना,
पर्वत दृढ़ रहना सिखलाते,
मधुमक्खी मधु पाना.
4.मेला
मुझको बड़ा सुहाना लगता,
कोई भी हो मेला,
मेले में हो सजे-सजाए,
लोगों का बस रेला.
कुल्चे-छोले-रबड़ी-कुल्फी,
खेल-खिलौने न्यारे,
झूले-हाथी-ऊंट सवारी,
मेले के खेल निराले.